तेरे लब्जो से निकलती, वो लगातार बातें,
और मेरी नज़रों का, तुझे यूं एकटक देखना।
कभी सोचा ना था, सपनों में भी, जो सपना,
मेरे करीब, उसका, इतने करीब बैठना।
उसके हाथो का, होले से, मुझ तक सरकना,
मेरी अंगुलियों का, उसके हाथों को छूना।
बोलते बोलते, उसका, कुछ रुक सा जाना,
पलकें उठा कर, देखना, होले से फिर से झुकाना।
काश! वक़्त कुछ और पल, वही रुक जाता,
कुछ पल में, अनगिनत, जीवन में जी जाता।।
देव
02 August 2020