सुबह से, सांझ तक साथ रहना।

सुबह से, सांझ तक, बस साथ रहना,
बिछड़ना तो है एक दिन,
मगर, अन्तिम सांस तक, साथ देना।

अकेला, मैं कहां रह पाऊंगा,
यूं ही, मुरझा कर, कभी गिर जाऊंगा,
तुम रही, तो शायद मैं भी जी पाऊंगा,
सुबह से, सांझ तक, बस साथ रहना।

छू नहीं सकते तो क्या हुआ,
तुम पास हो, ये अहसास ही काफी है,
दूर से ही सही, तुम्हे देख तो पाऊंगा।

सुबह से, सांझ तक, बस साथ रहना।
बिछड़ना तो है एक दिन,
मगर, अन्तिम सांस तक, साथ देना।

देव

20/09/2020, 9:44 am

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