हर सुबह गुजरते है।

अक्सर तेरी गलियों में
यूं ही तफरी लग जाती है
तेरे कमरे की बत्ती
तेरे होने की खबर देती है

कुछ कदम बड के
दरवाजे की कुण्डी पकड़ते है
पर कहीं तू ना कह दे
इसी बात से डरते है

सुबह सर्द मौसम में
शॉल लपेटें तू बाहर निकलती हैं
तेरी खुशबू से मोहल्ले की
हवा महकती है

उसी महक को हम
समेत आगोश में लेते है
तेरी गलियों से हम
हर सुबह गुजरते है

देव

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