रिश्ता विश्वास पे चलता है…

We three family friends, enjoyed fantastic moments few years back… Yday, after long time, had chat in group, and memorised few moments, actions reactions..

One is states in this poetry..

याद है, वो पल
जब बैठे यार दोनों
सोसायटी की सीढ़ियों में
बतियते थे
अपनी अपनी आत्मकथा
सुनाते थे

दुंडती सी, कहीं से
आ जाती थी बीवियां
कोई याराना तो
कोई पराठा ना खिलाने का बहाना
बनाती थी

और कहीं चुपके से
हौले से, कानो में
कोई फुस्करी छोड़ता था
फिर कहता,
रिश्ता विश्वास पे चलता है
अपना तो यही तरीका है

देव

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