तेरा जिक्र

रात है अंधेरी, और उजाला तुम,
मेरे जीवन का, सहारा तुम,
बिखर गई थी, मैं तो कभी की,
मेरे उठने का, बहाना तुम,

तेरे करीब कुछ पल ही सही,
मुझे जब भी नसीब होते है,
गोदी में अपनी समा तुझको,
दिन मेरे सबसे हसीन होते है,

बेफिक्र सा चेहरा तेरा, और
तुटलाती बातों में छिपी फिक्र मेरी,
तू है तो मैं हूं, तेरे लिए ही मैं हूं,
तेरे जिक्र बिन, बातें कहा, मेरी ख़तम होती है।

देव

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