मैं, हूं आज की नारी,

अबला, नहीं, अब मैं अबला नहीं,
में हूं आज की नारी,
मुझे, रोकने की ना तुम करो कोशिश,
अब है मेरी बारी,

ज़ुल्म हजार, झेले है मैंने,
युग युग तक, दर्द सहे है मैंने,
कोख से जाना, था जिसको मैंने,
वही दुशासन बने घिनौने,

पर अब मैं चंडी, अब मैं दुर्गा,
अब प्रचंड रूप, मेरा होगा,
अब नहीं, अपमान सहेगा,
मुझ पर, कोई ना राज करेगा,

मैं, हूं आज की नारी,
अब है मेरी बारी।।

देव

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