तेरी मौजूदगी, कुछ अलग, रंग खिला रही है

कुछ अलग, ये सुबह मुझे नजर आ रही है,
तेरी मौजूदगी, कुछ अलग, रंग खिला रही है,

यूं तो, होता हूं, मैं हर सुबह,
मुहाने पर दरिया के,
पर तेरे पांवों से टकरा,
लहरें गुनगुना रही है,

सूरज की, जो भी किरण,
तेरे बदन को, छूकर, आ रही है,
फिजा में हर तरफ तेरी,
खुशबू, फैला रही है

बस, थम ही जाए वक़्त,
कुछ पल और यहां,
खुदा गर दे मौका तो मुझे,
मेरी इल्तज़ा यही है,

देव

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