बच्चो को वक़्त ना देकर, मोबाइल दिलाए जाते है

अब तो ये रोजमर्रा की बात हो गई,
इंसान से ज्यादा,
मोबाइल से मोहब्बत हो गई,
अब आंख खुलते ही, गुड मॉ्निंग, बोला नहीं, लिखा जाता है
हाल, बाद में, करीबों का,
लोगो का, स्टेटस, ऑनलाइन चेक पहले किया जाता है,

चाहे कितनी भी भाग दौड़ भरी हो सुबह,
ऑनलाइन रहने के लिए,
वक़्त निकल ही जाता है,

रात में, बच्चों को सुलाने से पहले,
चैट का नंबर जरूर आता है,
अच्छे भले लोगो को,
इन्सोम्निया हो जाता है,

वैसे फायदा तो बहुत है,
अपने दोस्तो के, ग्रुप बनाए जाते है,
शौक और मिजाज के हिसाब से,
अलग अलग ग्रुप में,
लोग जोड़े जाते है,

हां, पार्टीज के प्रोग्राम भी
ऑनलाइन बनाए जाते है,
इन्विटेशन से लेकर, मेनू तक
ऑनलाइन, फाइनल किए जाते है,

पर हद है, भरी महफ़िल में भी लोग,
ऑनलाइन पाए जाते है,
जो बोल रहा होता है, उसके अलावा,
सबके सिर, हां में हिलते हुए,
मोबाइल की स्क्रीन पर,
झुके पाए जाते है,

अब कहां कॉम्पटीशन पढ़ाई का,
कुछ अच्छा करने का,
अब तो बस, कौन पहले पोस्ट करेगा,
की होड़ में, सब नजर आते है,

नज़रों से नजारें तो बाद में निहार लेंगे,
मोबाइल से पिक लेकर,
याद रहेगी हर पल की, के बहाने,
बेमिसाल, बहुमूल्य लम्हे,
बस फोटो खीचने में बिताए जाते है,

कहा है अब रिश्तों का मूल्य,
कहने को तो करते है अपनों की परवाह,
हद इस बात की है, अपने स्वार्थ में,
बच्चो को वक़्त ना देकर,
मोबाइल दिलाए जाते है।।

देव

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