हमारी दोस्ती की कसम दी

शायद, कुछ ग़लत समझ लिया था,
मैंने उसकी दोस्ती को, प्यार समझ लिया था,

और लगा, पागलों की तरह, उसे प्यार करने,
चाहने लगा था, बेइंतेहा उसे मन ही मन में,

लगी आदतें कुछ, धोका खाने के बाद जो,
उसकी मोहब्बत में, वो गलियां छोड़ दी,

हिम्मत करके, जब किया, इजहार हमने,
उसने अफसोस जता, हमारी दोस्ती की कसम दी।।

देव

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