इल्तेजा है उनसे, चुप ना रहें

दर्ज कर लेता हूं, हिसाब में अपने,
उनकी हर खुशी, हर ग़म को,
आज तो वो बेगाने है, दूंगा हिसाब,
जब अपनाएंगे को हम को,

यूं ही, झरोखे से झांक लेता हूं,
जब गुजरते है, वो मोहल्ले से मेरे,
बस, इक निगाह में ताड़ लेता हूं,
चाहे कितने ही छिपाए, जज्बात अपने,

इस तो हो गया है अब,
हम क्या करी,
वो चाहे, तो अपना लें, या दुत्कार दे,
इल्तेजा है उनसे, चुप ना रहें।

देव

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