तुम कहा गई, दिल में बसी हो अब भी

अभी, कल ही, की तो बात है,
मिली थी तुमसे, बड़े दुलार से,
हाथ फेरा था, सिर पर मेरे,
और हजार दुआए दे डाली थी पल में,

तुम्हारी मुस्कुराहट में, कोई,
भेदभाव नहीं था, तुम्हारे संवाद में,
बस प्यार ही प्यार भरा था,
और जब गले, तुमने मुझे अपने लगाया,
मेरे दिल को, बस इत्मीनान ही था,

तुम्हारे प्यार में बस, अपनापन था,
तुम्हारी, मुस्कान में, कुछ तो दम था,
थके चेहरों पर भी, हसीं ले आती थी,
पल में, सबको, अपना बना लेती थी

और यू ही, छोड़ चली, पल में,
वक़्त भी चुना ऐसा, ना आ पाए मिलने,
बस, तुम्हारा वही चेहरा, जेहन में है अब भी,
तुम कहा गई, दिल में बसी हो अब भी।।

देव

13 may 2020

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